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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 27)




एक सुनसान अंधेरी गली में कोई तेज कदमो से  धीरे-धीरे घिसटते हुए चल रहा था, उसके पैरों के घिसटने की आहट से ज्यादा उसके हाँफने का स्वर सुनाई दे रहा था। वो ऐसे भाग रहा था जैसे कोई उसके पीछे बुरी तरह हाथ धोकर पड़ा हुआ हो, वह अपनी पूरी जान लगाकर भागने में प्रयासरत था परन्तु  अब उसकी हालत पस्त हो चुकी थी। शरीर की सारी ऊर्जा नष्ट हो चुकी थी और साथ ही वह जीने की उम्मीद भी छोड़ता जा रहा था। पतली गली में चलते हुए सामने की ओर दो मोड़ दिखे, थके होने के बावजूद वह लम्बे-लम्बे कदमों से बड़ी तेजी से भागा जा रहा था।

अब वह उस तिराहे पर पहुंच चुका था। अंधेरी रात में शायद सभी ने अपने कमरों की लाइट्स बुझा ली थी या फिर यह इलाका पूरी तरह सुनसान जान पड़ता था। मोड़ के पास एक स्ट्रीट लाइट लगी हुई थी लेकिन उसका बल्ब नदारद था जिस कारण वहां केवल पोल के खड़े होने की ही अनुभूति हो रही थी जिसपर कोई फ़टे चादर या प्लास्टिक का टुकड़ा लिपटा हुआ उड़ रहा था जो इस घनेरी रात में किसी भयावह आकृति की छाया बना रहा था। उस आदमीं की डर के मारे हालत खराब होती जा रही थी, तभी वहां चट्ट-कटर का स्वर उभरा, उस व्यक्ति की धड़कनें व्याकुलता से और बढ़ गयी, उसे अपने सीने में पसलियों के पीछे धड़कनों की धाड़-धाड़ का स्वर तेज होता हुआ महसूस होने लगा।

जब उसने नीचे देखा तो कोई काँच की बोतल टूटी पड़ी थी जो उसके पैरों के नीचे आ गयी थी। उसने अपने पैरों में मजबूत और स्टाइलिश जूते पहन रखे थे, चाँद की हल्की रोशनी में उसका पहनावा किसी प्रोफेशनल व्यक्ति के समान लग रहा था। आँखों पर छोटे गोल चश्में थे, गले में टाई थी जिसे उसने ढीला कर रखा था, एक हाथ में उसका कोट और दूसरे में छोटा सा बॉक्स था। काँच के टुकड़ो को देखकर वह थोड़ा सहज हुआ और गर्मी के कारण ढ़ीली टाई के साथ शर्ट के बटन भी खोलने लगा। सर्दी का मौसम आने वाला था, रात सामान्य से सर्द थी परन्तु उस व्यक्ति का गर्मी के मारे बुरा हाल हुआ जा रहा था।

"ओ गॉड! प्लीज हेल्प मी!" अपने चश्मे को बाहर निकालकर कोट से चेहरे का पसीना पोंछता हुआ वह बोला। अब तक वह तिराहे पर लगे उस बन्द पड़े स्ट्रीट लाइट के पास पहुँच चुका था। सांय सांय कर गूंज रही सर्द हवा उसके मन में घर किये डर को बढ़ाये जा रही थी। इस तीखी सर्द हवाओं से उसका पसीना कम होने के बजाए और तेजी से निकलने लगा। हवाओं का शोर उसके डर को बढ़ा रहा था, इतनी सर्दी में भी उसको गर्म लगना कम नही हुआ था। तभी अचानक प्लास्टिक का एक टुकड़ा उड़ते हुए आया और उसके चेहरे से चिपक गया, उस व्यक्ति की डर के मारे हालत खराब हो गयी, वह झुंझलाते हुए तेजी से अपने चेहरे पर के उस टुकड़े को हटाया इसी क्रम में उसके दोनों हाथों से वह छोटा बॉक्स और कोट नीचे गिर गया जिसे वह झुकते हुए जल्दी जल्दी कर समेटने लगा। पसीने की एक बूंद उस बॉक्स पर गिरी और 'टप' के स्वर के साथ उस बॉक्स पर फैल गयी। एकदम शांत से इस वातावरण में यह स्वर तेजी से गूँजा था, उसकी धड़कनें अब और तेजी से बढ़ने लगी। जैसे ही वह उठने को हुआ उसे महसूस हुआ कि उसके आसपास के वातावरण की गर्मी बढ़ रही है, कहीं यह वही तो नही है जो उसके आविष्कार को उससे छीनना चाहता है और उसका प्रयोग कर इंसानो को बुरी यातनाएं देकर मारना चाहता है। उन्हें एक भरम में डालकर तड़प-तड़पकर मरने पर मजबूर करना चाहता है। परन्तु उसे लगा कि इतने तेज भागने के कारण ही उसे ऐसा लग रहा होगा।

'यह एक मनोवैज्ञानिक डॉक्टर एवं वैज्ञानिक था जिसने मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगो के हेल्प के लिए एक बहुत ही शानदार दवा एवं डिवाइस का ईजाद किया था। जिसे लेने के बाद वह मानसिक रूप से विक्षिप्त इंसान जो पाना चाहता पा लेता था। यह एक प्रकार की इल्यूजन डिवाइस थी जिसे बस मरीज के सम्पर्क में रखना पड़ता, चाहे उसकी सहमति हो अथवा नही। इस डिवाइस की रेंज में आते ही वह एक इल्यूजन जोन में चला जाता, जहां वह अपने मनमुताबिक कुछ भी कर सकता था और उसे यह सब बिल्कुल वास्तविक प्रतीत होता।

मानसिक रोगियों के इलाज में यह एक क्रांतिकारी खोज थी, इसका नाम 'इलूज़' रखा गया था। इलूज़ का निर्माता एवं एक महान वैज्ञानिक, 'धवल' अपने इस करिश्माई अवतार, अपने क्रांतिकारी खोज और पीछे पाँच सालो के लगातार परिश्रम से बनाई गई मशीन का कल सुबह सबके समक्ष प्रेजेंटेशन कर इसके उपयोग और लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाला था। यह प्रयोग अत्यंत गुप्त था परन्तु कोई था जिसे इसके बारे में पता था और अब वह इस मशीन को हथियाकर इसका प्रयोग इंसानों को बुरी तरह तबाह करने में करने वाला था।'

"यदि वो ऐसा ही करना चाहता है तो नही कर पायेगा।" बॉक्स को उठाते हुए धवल न जाने क्यों रुक गया और बॉक्स को नीचे रख कर उसे अपने पैरों से कुचलने आगे बढ़ा। यह जानते हुए भी की उसमें उसके जीवन भर के अथक परिश्रम का परिणाम रखा हुआ है वह बिना हिचकिचाएं उसे कुचलने बढ़ा। अचानक वातावरण में गर्मी और बढ़ती गयी, इससे पहले धवल का पैर उस बॉक्स पर पड़ता वह बॉक्स गायब हो चुका था। धवल को एक क्षण को लगा कहीं वह किसी इल्यूजन में तो नही फंस गया इसलिए उसने स्वयं को जोर से चुटकी काटा पर वह वास्तविक दुनिया में था। सामने हवा में जलती हुई आगे तैरते हुए धवल की ही ओर बढ़ रही थी। धवल को यह सब अत्यधिक आश्चर्यजनक एवं अविश्वसनीय लग रहा था। वह बुरी तरह थक चुका था उसके हृदय ने उसका साथ देना छोड़ दिया थोड़ी ही देर में ठंडी चीख के साथ तड़पते हुए उसके प्राण निकल गए। या फिर उसके प्राणों ने निकलकर उसे किसी बड़े जुल्मोसितम से बचा लिया। वह जलती हुई आग धवल के शरीर के पास आई और कुछ ही क्षणों बाद वहां से लौट गया, वातावरण फिर पहले की तरह सामान्य हो गया, इतना शांत की यह शान्ति काट खाने को दौड़ रही थी। वहीं धवल का क्षत-विक्षत शरीर पड़ा हुआ था उसके एक हाथ में अब भी कोट थमा हुआ था उसका श्वेत शर्ट लहू के लाल रंग से रंग गया था, जिस्म कई जगह से कटा फटा सा लग रहा था, चारों ओर खून के छींटे बिखरे हुए थे। उस बेरहम ने धवल के मृत शरीर पर भी कोई दया नही दिखाया शायद यही गुमनाम अंधेरे की विभत्स पहचान थी।

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"व..विस्तार तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" हकलाते हुए अमन पूछा, वह विस्तार के रौद्र रूप को देखकर डर सा गया था।

"घबरा मत सुपीरियर लीडर! अब तुम कोई मामूली जीव नही बल्कि सुपीरियर आर्मी का लीडर हो।" वीर, अपने हाथों में अंगारे भर के विस्तार की ओर बढ़ा। आज उसके आँखों में जमाने भर की नफरत दिखाई दे रही थी।

"क्या तुम मुझे मार सकते हो?" विस्तार वीर से थोड़ा ऊपर होकर उसे घूरती निगाहों से देखते हुए बोला। उसके स्वर वातावरण में आग सी गर्मी भर रही थी। "आओ मारो विस्तार को!" पहाड़ो से टकराकर विस्तार की ध्वनि गूँजने लगी।

"मुझे भलीभांति पता है विस्तार तू जैसे ही अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगा और जरा सा शक्तिहीन होगा स्वामी नराक्ष की दृष्टि तुम पर पड़ जाएगी। परन्तु चिंता न करो तुम्हारे सामने अंधेरे का महाशक्तिशाली योद्धा वीर है जो संसार के हर प्रकार के छल में निपुण है।" वीर हवा में थोड़ा ऊपर उठा। दोनों के स्याह चेहरे आक्रोश से कांप रहे थे।

"तो क्या इसकी शक्तिहीनता ही इसकी शक्ति बन जाएगी?" अमन, वीर के बातों से हैरान था।

"लगता है तुम्हारी बुद्धि मानवों की भांति शून्य हो चुकी है। या फिर जंग लगकर घिस चुकी है अन्यथा तुम ऐसी अनर्गल बाते न करते।" वीर भन्नाए हुए क्रोधित स्वर में बोला।

"मुझे मारने के बहुत सलोने स्वप्न सजाए हुए हो वीर! मैं तुमसे छिप रहा था परन्तु जब शक्तिहीन होने पर नराक्ष ने मेरे मष्तिष्क पर नियंत्रण हासिल कर लिया तब मुझे अनुभूति हुई कि मैं तुम्हारे समक्ष आ सकता हूँ और तुम चाहें जो कर लो मुझे मार नही सकते! अपने सीने में जल रही आग को बुझा लो वीर!" विस्तार के चेहरे पर विचित्र शैतानी मुस्कान थिरक रही थी। वीर उसके इस परिवर्तित व्यवहार एवं रहस्यमय मुस्कुराहट के रहस्यों को समझने का प्रयत्न करने लगा।

"क्या सोच रहा है वीर? यही कि मैं तुम्हारे सामने आकर बड़ी-बड़ी क्यों फेंक रहा हूँ? क्योंकि मुझे स्वयं ही नराक्ष से मिलना है।" वीर के हाथों को पकड़कर आँखों में आँख डालते हुए विस्तार बोला।

"नही! मैं ये सोच रहा हूँ कि तुम्हे बद से बदतर मौत किस तरीके से दूं! क्या तुम मेरी हैवानियत भरी यातनाओं को सहन कर पाओगे।" कहते हुए वीर, विस्तार के हाथ को छुड़ाते हुए उसे नीचे पटक दिया और तेजी से उसकी ओर बढ़ने लगा तभी अमन ने उसे रोक लिया।

"नही! ऐसे तो स्वामी को पता चल जाएगा। क्यों न हम…."

"क्यों न हम इसे स्वामी के समक्ष प्रस्तुत करें।" विस्तार क्रोध भरे स्वर में अमन की बात को पूरा किया। "तुम लोगो ने मेरे माता-पिता, मेरा भाई, मेरे दोस्तों सब  कुछ मुझसे छीन लिए अब कुछ बाकी है मुझे खोने को?" विस्तार हवा में लहराते हुए वीर पर उर्जावार करता हुआ बोला। वीर को इसकी आशंका नही थी इसलिए वह हवा में गुलाटियां खाता हुआ दूर जा गिरा।

"मैं तुम में से किसी से नही डरता! अब मुझे प्रतिशोध चाहिए!" विस्तार की आँखों में विचित्र शैतानी आग भड़क रही थी।

"तुम अभी इतने शक्तिशाली नही हुए हो कि हमारा सामना कर सको विस्तार!" अमन, विस्तार पर नीले रंग की ऊर्जावार करता हुआ बोला। जिससे विस्तार दूर जा गिरा।

"वाह! मेरी शक्तियां पहले से भी अधिक बढ़ गयी।" अमन खुशी से चहका।

"सचमुच! इतने वर्षों तक मानवों के बीच रहकर तुम्हारी मति नष्ट हो चुकी है। यह मेरी गलती है कि मैंने तुम्हें दुबारा यह शरीर दिया।" वीर, क्रोध में अमन पर बरसते हुए बोला।

अचानक वहां की हिम स्याह पड़ने लगी, चारों ओर मनहूसियत छाने लगी, यह क्षेत्र अब धीरे धीरे अंधेरे के गर्त में जाने लगा, विस्तार और वे दोनों अंधेरे के इस घेरे से थोड़ी ही दूर श्वेत हिम पर एक दूसरे से लड़ने में व्यस्त थे

"तुमने अपने हाथों, अपने दोस्तो को निर्दयता से मार डाला है विस्तार! वो तुम थे जिसने इतनी अधिक हैवानियत दिखाई और एक एक को बुरी तरह से मार डाला।" वीर, विस्तार को उर्जापाश में बांधते हुए बोला।

"तुम्हारी इस बात का मुझपर कोई असर नही होगा वीर!" पाश में बंधा हुआ विस्तार तेजी से अमन और वीर के तरफ बढ़ा और दोनों के गले को पकड़कर उस स्याह क्षेत्र में प्रवेश कर गया।

यह स्याह क्षेत्र अंधेरी दुनिया के विस्तार का परिणाम था। उस घने अंधेरे में तीन जोड़ी दहकती आंखे दिखाई दे रही थी अंधेरा बढ़ने के साथ ही ओमेगा चिन्ह की और अधिक चमक बढ़ती जा रही थी।

"तुम्हारा मुझे मारने का स्वप्न, स्वप्न ही रह जायेगा वीर! परन्तु मैं तुममें से एक एक को मारूंगा, चुन-चुनकर यातना भरी मृत्यु दूंगा, इस बार मैं तुममें से किसी को नही छोडूंगा, एक-एक से प्रतिशोध लूंगा। इस बात का स्मरण रखना, तुम सब अब मेरे रहमोकरम पर जीवित रहने वाले हो" विस्तार क्रोध भरे स्वर में एक एक शब्द को चबा-चबाकर बोला बोला। वह हरेक शब्द पर अत्यधिक जोर दे रहा था, उसकी आँखों में प्रतिशोध की भीषण आग जल रही थी।

अगले ही क्षण उसकी स्मृति लोप होने लगी। थोड़े समय बाद वे तीनों नराक्ष के समक्ष खड़े थे। विस्तार का भाव शांत हो चुका था, उसकी आँखों और हाथों से स्याहियों का लहराना भी बन्द हो चुका था। उसके दूसरी ओर स्याह ऊर्जा की संयोजक एवं त्रयी महाशक्तियों में से एक महाशक्ति मैत्रा भी खड़ी थी परन्तु उसका भाव भी सामान्य था और वह भी विस्तार की मुद्रा में खड़ी थी। नराक्ष वीर और अमन की ओर क्रोध भरी दृष्टि से देख रहा था जिसे देखकर वीर का हृदय कांपने लगा था।

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ग्रेमन के साम्राज्य में आज बड़ी चहल पहल थी। डार्क गार्ड्स की छोटी सी टुकड़ी आज अत्यधिक विशाल नजर आ रही थी। उनके जल रहे खोपड़ियो के अतिरिक्त शरीर पर नजर डालने से स्पष्ट दिखाई दे रहा था कि उनके देह मात्र कुछ समय पुराने हैं जो डार्क लीडर या ग्रेमन के सेवको के हाथों मृत्यु को प्राप्त हो, ग्रेमन की महान ऊर्जा से पुनः इस जलती हुई खोपड़ी के साथ जीवित हुए है। इस रूप में वे सभी ग्रेमन की आज्ञा मानने पर पूर्णतः विवश हैं।

"आज हम तुमसे प्रसन्न हुए हैं डार्क लीडर! अब हमें त्रयी महाशक्तियों की आवश्यकता नही है। डार्क फेयरीज़ के बिना वह तुच्छ नराक्ष भी मैत्रा की शक्तियों का अधिक प्रयोग नही कर सकेगा। हाहाहा… अब हमें कोई अफसोस नही है। हमें चाहिए तो केवल विस्तार की मृत्यु और संसार से उजाले का अंत! क्योंकि अब हमें सम्पूर्ण संसार का भगवान बनना है हाहाहा….!" ग्रेमन के अट्ठहासों से वह क्षेत्र गूंज गया। डार्क फेयरीज़ उसके आसपास दिखाई नही दे रही थीं। डार्क लीडर के हाथों में एक छोटा सा बॉक्स था, ग्रेमन से अपनी तारीफे सुनकर वह अत्यधिक खुश हुआ अभी अभी वह अपनी मृत्यु को धकेलकर आने में सफल हुआ है अब उसे अपने स्वामी के लिए अंधेरे का अधिक से अधिक विस्तार करना था और साथ ही करना था विस्तार का अंत…!

क्रमशः...


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2 Comments

Kaushalya Rani

25-Nov-2021 10:18 PM

Nice sir

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BhaRti YaDav ✍️

29-Jul-2021 08:19 AM

Nice

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